ज़िन्दगी में क्या किया?
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मुस्कुरा दिया मन मेरा
और सुकून भरा जवाब दिल से दिया
जब पूछा कुछ लोगों ने
“आख़िर तूने ज़िन्दगी में क्या किया?”
कभी पीछे मुड़कर देख लेना अच्छा है,
एक लम्हे में सिमट जाए बीती सदियाँ
कभी खुद से सवाल पूछ लेना अच्छा है
“आख़िर मैंने ज़िन्दगी में क्या किया?”
करीब से ज़िन्दगी को जाना मैंने
बहुत से गहरे रहस्यों का अध्ययन किया
भीतरी मन पर ध्यान लगाकर
स्वयं की आत्मा को ढूंढ लिया
साथ दोस्तों का निभाया मैंने
और सब लोगो को खूब हँसाया
कभी प्रेम की कमी महसूस की
तो कभी इसकी बारिश को भी पिया
बेहिसाब अनेको खुशियाँ बिखेरकर
मैंने ज़िन्दगी को भरपूर जिया
रिश्तों के मेले में कोई अपना बिछड़ गया
तो कभी किसी अजनबी ने दोस्त बना लिया
कभी झूठा इनकार करना मुनासिब लगा
तो कभी सच्चा इकरार कर लिया
किसी के दूर जाने के बाद भी
हमेशा के लिए उसे ह्र्दय में बसा लिया
तपे ग़मों की धूप में भी
तो कभी खुशियों की बारिश ने भिगो दिया
क्या सुन्दर रंग तेरे वाह रे ज़िन्दगी !
मुसीबतों की आँधियों में तूने उड़ना सिखा दिया
मुस्कुरा दिया मन मेरा
और सुकून भरा जवाब दिल से दिया
जब पूछा कुछ लोगों ने
“आख़िर तूने ज़िन्दगी में क्या किया?”