इंतज़ार
Romantic poems in Hindi
दिल में रिहाइश लेके बसा है
जो नहीं है, पर है यहीं-कहीं।
दूर होकर भी सपनों से जुड़ा है
याद आने लगा है, जो कभी बिछ्ड़ा ही नहीं।
एक कसक बनकर समा रहा है,
एह्सास में है, जिसने अब तक छुआ ही नहीं।
वक़्त पानी-सा निरंतर बह रहा है,
इंतज़ार में शामिल है, एक पल को भी जो मिला नहीं।
दिल की मिट्टी ने उम्मिदों के बीजों को जड़ा है,
कहीं टूट न जाये वादा, जो कभी किया ही नहीं।
ज़िन्दगी भर का साथ उसके ऊपर फना है,
वो चाहे हो कभी गलत या ही सही।
हर कागज़ नज़राना चाहत का बना है,
लिखा है उसको, मेरी चिठ्ठी को जिसने पढा ही नहीं।
पर दूरी में भी जीने का रस रमा है,
कहीं और भी ज़रूर मोहब्बत जवॉ है।
ये दर्द-ए-इंतज़ार ही ले जायेगा उस तक,
जो नहीं है, पर है यहीं-कहीं ।।