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Poems

जानेमन

जानेमन

बात-बात पे नौक- झौक जो अक्सर करते हैं वो अक्सर करते हैं वो चुपके-चुपके एक दूजे की फ़िक्र किया करते हैं। नज़र न लग जाये कहीं उनकी मोहब्बत को

इंतज़ार

इंतज़ार

दिल में रिहाइश लेके बसा है जो नहीं है, पर है यहीं-कहीं। दूर होकर भी सपनों से जुड़ा है याद आने लगा है, जो कभी बिछ्ड़ा ही नहीं।

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