अच्छा लगता है
यूँ तो अंधेरे से कोई बैर नहीं पर आकाश की गगरी से छलकती सुनहरी धूप की बारिश में गीला होना अच्छा लगता है। मन की व्याकुलता स्वभाविक है फिर भी
यूँ तो अंधेरे से कोई बैर नहीं पर आकाश की गगरी से छलकती सुनहरी धूप की बारिश में गीला होना अच्छा लगता है। मन की व्याकुलता स्वभाविक है फिर भी
एक दिन जब व्याकुल हुआ मन, सोचा, आराम से बैठकर सोचूँ और खोजूँ कारण | विचलित…
Slowly, I was growing, since the day I was born. Nurtured me, the mellow hands of…