बेखबर
एक दिन जब व्याकुल हुआ मन, सोचा, आराम से बैठकर सोचूँ और खोजूँ कारण | विचलित…
एक दिन जब व्याकुल हुआ मन, सोचा, आराम से बैठकर सोचूँ और खोजूँ कारण | विचलित…
सुबह की रोशनी अब अंधेरे-सी लगे दूर इससे भाग मैं नींद में छिप जाऊँ जल्दी जागती…
छोड़ आई थी जिन रास्तों को नजाने कैसे उनसे मुलाकात हो गई। कभी न मिलने का…
तू सारथी इस जीवन रथ का कदम तुझी को बढ़ाना है | उठ चल, न छोड़ हिम्मत को, तू खुद ही तेरा सहारा है | तू पंछी अपने गगन का किसके लिए तू बैठा है ? उड़ चल, न बाँध तू खुद को, आसमा ही तेरा आशियाना है | तू पानी अपनी नदी का किसके लिए तू ठहरा है ?….
कभी हम हंसने चले और आँसू बह गए, क्यों इतने दु:ख मिले, सोचते ही रह गए | पर ज़िंदगी…