ओड-ईवन

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देखो कैसा समय आ गया

केजरीवाल ने ओड-ईवन का चक्र चला दिया।

सब की व्यवस्था को अस्त-व्यस्त कर दिया

विषम-सम का नियम किसी को न भाया।

दफ़्तर जाना भारी पड़ गया

कोई-कोई तो एक गाड़ी और खरीद लाया।

शादी पर जो दूल्हा बारात लेकर गया

परसो से पहले गाड़ी वापस न ला पाया।

उसने तो निश्चित ही पुलिस का डंडा खाया

जो ओड की जगह ईवन नंबर का वाहन निकाल लाया।

सरकार को ही हर कोई ज़िम्मेदार ठहरा गया

पर कोई उसकी मजबूरी समझ न पाया।

हमारी ही लापरवाही का नतीजा यह आया

कि कलयुग का वायुमण्डल अब दूषित हो गया।

आज का युग मनमानी की मिसाल दे गया

कुछ कदम भी वो पैदल चल न पाया।

अनगिनत इंजनों ने काला धुआँ फैलाया

और ज़हरीली हवा ने कीटाणुओं को उपजाया।

तो जब ये बुरा हाल प्रदुषण ने है किया

फिर ओड-ईवन पे सबने सवाल क्यों उठाया?

अगर एस सख़्त नियम से बचना ही है

तो एक ही समाधान शेष रह गया।

सुधार होगा अगर हम सबने प्रयत्न किया

और अपने घर के आस-पास एक पौधा लगा दिया।

यदि गाड़ी घर पे छोड़ कर मेट्रो से सफ़र किया

या साइकिल के लिए पैदल-मार्ग बना दिया।

इससे प्रदुषण नियंत्रित हो जाएगा

और ओड-ईवन का समय कभी न आएगा।

 

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