नया वर्ष
आया ये जो नया वर्ष,
साथ लाया है नयी उमंगें और हर्ष |
आज है एक नया सुर्योदय, आया है एक नया सवेरा
नष्ट हों सबके दुख और रहे सिर्फ खुशियों का बसेरा |
जाने कितने दिन एक-एक करके गुज़र गये,
पर फिर भी कुछ काम अभी भी अधूरे रह गये |
फिर भी बीता साल बहुत कुछ देकर गया,
हर किसी से कुछ न कुछ सीखा नया |
भावनाओं के, खुशियों के, उपलब्धियों के पल ज़रूर याद आएंगे,
पर नये साल के नये फूल भी तो मुस्काएंगे |
आगे आने वाले समय को चलो करें बहतर,
क्यों न कुछ निश्चित करें और चलें उसी पथ पर |
नित्य करें एक चौथाई मानवता के लिये, एक चौथाई देश,
एक चौथाई परिवार और फिर अपने लिये, जो बच जाये शेष |
क्यों न ले शपथ, निरंतर आगे बढ़ते रहने की,
प्रयास के साथ पानी जैसे वेग से बेहने की|
अपने हर सपने को मोतियों सा संजोकर,
जिये जीवन को कुछ सहज कर, सम्भलकर |
क्यों न परीवर्तित करें कुछ अपना ही दृष्टिकोण ,
क्रोध करने की जगह, कभी-कभी रह जाये मौन |
भूल जाएँ जो चला गया,
करें वही जो सोच लिया |
नए वर्ष का पहला दिन जैसे यही लाया हो संदेश नया,
गया समय न लौट के आता, एक बार जो चला गया |